अष्ट सिद्धियाँ और नव निधियाँ – Ashutosh Kumar Mishra

अष्ट सिद्धियाँ और नव निधियाँ

भारतीय आध्यात्मिकता और योग परंपरा में अष्ट सिद्धियाँ (8 सिद्धियाँ) और नव निधियाँ (9 निधियाँ) का एक विशेष स्थान है। ये न केवल शारीरिक और मानसिक शक्तियों का प्रतीक हैं, बल्कि इनका धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी है। साधारण रूप से, अष्ट सिद्धियाँ मनुष्य को उन क्षमताओं का एहसास कराती हैं जो योग साधना और तपस्या के माध्यम से प्राप्त की जा सकती हैं। वहीं, नव निधियाँ भौतिक और आध्यात्मिक समृद्धि का प्रतीक मानी जाती हैं।

अष्ट सिद्धियाँ: 8 विशेष शक्तियाँ

अष्ट सिद्धियाँ भारतीय योग और तांत्रिक परंपरा में प्राप्त होने वाली विशेष शक्तियाँ हैं। ऐसी मान्यता है कि महान योगियों और ऋषियों ने इन शक्तियों को प्राप्त करने के लिए कठोर साधना की। ये शक्तियाँ व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से एक उच्च स्तर तक पहुँचाती हैं। अष्ट सिद्धियाँ निम्नलिखित हैं:

  1. अणिमा – इस सिद्धि से साधक अपने शरीर को इतना छोटा कर सकता है कि वह अणु के समान हो जाए। यह शक्ति अदृश्यता, सूक्ष्मता और किसी भी वस्तु में प्रवेश करने की क्षमता देती है।
  2. महिमा – इस सिद्धि से व्यक्ति अपने शरीर को विशाल आकार में बदल सकता है। साधक का शरीर इतना बड़ा हो जाता है कि वह किसी विशाल स्थान को भी भर सकता है।
  3. गरिमा – इस शक्ति से साधक अपने शरीर को इतना भारी कर सकता है कि कोई उसे हिला भी न सके। यह शक्ति भौतिक भार और स्थिरता पर पूर्ण नियंत्रण प्रदान करती है।
  4. लघिमा – इस सिद्धि के माध्यम से साधक अपने शरीर को हल्का बना सकता है, जिससे वह हवा में उड़ सकता है। यह शक्ति गुरुत्वाकर्षण के नियमों को पार कर सकती है।
  5. प्राप्ति – यह शक्ति साधक को इच्छित वस्तु को कहीं से भी प्राप्त करने की क्षमता देती है। साधक किसी भी स्थान से किसी भी चीज को तुरंत प्राप्त कर सकता है।
  6. प्राकाम्य – यह सिद्धि इच्छाओं को साकार करने की क्षमता प्रदान करती है। साधक अपनी इच्छानुसार किसी भी कार्य को संपन्न कर सकता है।
  7. ईशित्व – यह शक्ति साधक को परम सत्ता का अनुभव कराती है, जिससे वह सृष्टि के सभी प्राणियों पर अधिकार पा सकता है। इस शक्ति से वह ईश्वर के समान सर्वसत्ता प्राप्त कर सकता है।
  8. वशित्व – यह शक्ति किसी भी वस्तु या व्यक्ति को वश में करने की क्षमता प्रदान करती है। इस सिद्धि से साधक सभी चीजों पर नियंत्रण कर सकता है।

अष्ट सिद्धियाँ आत्म-विकास और आत्म-शक्ति की पराकाष्ठा का प्रतीक हैं। हालाँकि, यह भी माना जाता है कि ये सिद्धियाँ केवल ईश्वर के प्रति समर्पित और विनम्र साधकों के लिए होती हैं, जो अपने व्यक्तिगत स्वार्थों से ऊपर उठ चुके हों।

नव निधियाँ: 9 विशेष संपत्तियाँ

नव निधियाँ ऐसी नौ संपत्तियाँ मानी जाती हैं जो भौतिक और आध्यात्मिक समृद्धि का प्रतीक हैं। ये संपत्तियाँ ईश्वर की कृपा से प्राप्त होती हैं और जीवन में समृद्धि, सुख और शांति का संचार करती हैं। नव निधियाँ निम्नलिखित हैं:

  1. महापद्म – यह सबसे बड़े धन का प्रतीक है, जो जीवन में अपार समृद्धि और भौतिक सुख-सुविधाओं को लाता है। इसे सर्वोत्तम भौतिक संपत्ति माना गया है।
  2. पद्म – यह पवित्रता, सुंदरता, और ज्ञान का प्रतीक है। कमल के रूप में पद्म संपत्ति का प्रतीक है जो सौंदर्य और समृद्धि लाता है।
  3. शंख – शंख को विशेष रूप से सुख, प्रसिद्धि, और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इसे सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक भी माना गया है।
  4. मकर – मकर (मगरमच्छ) शक्ति और स्थिरता का प्रतीक है। यह संपत्ति दीर्घकालिक स्थायित्व और सुरक्षा का प्रतिनिधित्व करती है।
  5. कच्छप – कच्छप (कछुआ) धैर्य और संतुलन का प्रतीक है। यह संपत्ति स्थायीता और धैर्य के महत्व को दर्शाती है।
  6. कुंद – कुंद का अर्थ है रत्न या बहुमूल्य पत्थर। यह संपत्ति शुद्धता और सौंदर्य का प्रतीक है जो जीवन में शुभता और सौभाग्य लाती है।
  7. नील – नील का अर्थ है नीलम (नीला रत्न)। यह संपत्ति मानसिक स्थिरता, शांति और सुरक्षा का प्रतीक है।
  8. मुखुंद – मुखुंद का अर्थ है मुक्ति या आध्यात्मिक स्वतंत्रता। यह संपत्ति न केवल भौतिक बल्कि आध्यात्मिक स्वतंत्रता को भी दर्शाती है।
  9. कर्पूर – कर्पूर (कपूर) पवित्रता, ज्ञान और आध्यात्मिक शुद्धता का प्रतीक है। इसका प्रयोग पूजा में किया जाता है और यह अहंकार को जलाने का प्रतीक है।

अष्ट सिद्धियाँ और नव निधियाँ का आध्यात्मिक महत्व

अष्ट सिद्धियाँ और नव निधियाँ हमारे जीवन में संतुलन, स्थिरता और समृद्धि का प्रतीक हैं। अष्ट सिद्धियाँ साधकों को उनकी आंतरिक शक्तियों को पहचानने और उन्हें नियंत्रित करने में मदद करती हैं, जबकि नव निधियाँ भौतिक और आध्यात्मिक संपत्ति का संपूर्ण रूप प्रस्तुत करती हैं। यह दोनों ही साधक को जीवन के विभिन्न आयामों में सफल और संतुष्ट बनाती हैं।

इनकी प्राप्ति के लिए कठिन साधना, ध्यान और आत्म-समर्पण की आवश्यकता होती है। यह भी मान्यता है कि जो व्यक्ति इन सिद्धियों और निधियों का उपयोग परोपकार के लिए करता है, उसे भगवान की कृपा प्राप्त होती है। इसलिए, ये आध्यात्मिक शक्तियाँ और संपत्तियाँ मनुष्य को अपने भीतर और बाहरी जीवन में संतुलन और सौंदर्य का अनुभव करने में सहायक होती हैं।

निष्कर्ष

अष्ट सिद्धियाँ और नव निधियाँ केवल भौतिक समृद्धि या मानसिक शक्तियाँ नहीं हैं; ये आत्मिक उन्नति और आत्म-समर्पण का प्रतीक हैं। ये हमें यह सिखाती हैं कि जब व्यक्ति अपने स्वार्थों से ऊपर उठकर समाज, धर्म, और ईश्वर के प्रति समर्पित होता है, तो उसे न केवल भौतिक बल्कि आध्यात्मिक धन भी प्राप्त होता है।

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